खैरियत ख़फा है अब हमसे
अब तो यहाँ हाल, बेहाल है..
जवाब न अब किसी एक का
हुए खड़े कई सवाल हैं।
न मिलकर भी बिछड़ने का
होता अक्सर मलाल है..
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
बंद होठों से भी अक्सर, होती बातें हजारों
बहके कदम अब इन्हें संभालों न यारों..
दिमाग है दिवाना और दिल में सलवटें हैं
नींद न है बिस्तरों पे बस खाली करवटें हैं।
ये कैसी खुशमिजाजी, जिसमें
खुशी है कम और दर्द विशाल है..
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
मंजिल वही है लेकिन रस्ते खो गये हैं
जागे हैं सपने सारे, पर हम ही सो गये हैं
ये तिलिस्मी नीर कैसा
पीके जिसे प्यास बढ़ रही है
ये शिखर उत्तंग कैसा
छूके जिसे श्वांस चढ़ रही है।
तड़प-बेचैनी-बेखुदी बस
यही इस जज़्बात की मिशाल है
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
खैरियत ख़फा है अब..........
अब तो यहाँ हाल, बेहाल है..
जवाब न अब किसी एक का
हुए खड़े कई सवाल हैं।
न मिलकर भी बिछड़ने का
होता अक्सर मलाल है..
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
बंद होठों से भी अक्सर, होती बातें हजारों
बहके कदम अब इन्हें संभालों न यारों..
दिमाग है दिवाना और दिल में सलवटें हैं
नींद न है बिस्तरों पे बस खाली करवटें हैं।
ये कैसी खुशमिजाजी, जिसमें
खुशी है कम और दर्द विशाल है..
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
मंजिल वही है लेकिन रस्ते खो गये हैं
जागे हैं सपने सारे, पर हम ही सो गये हैं
ये तिलिस्मी नीर कैसा
पीके जिसे प्यास बढ़ रही है
ये शिखर उत्तंग कैसा
छूके जिसे श्वांस चढ़ रही है।
तड़प-बेचैनी-बेखुदी बस
यही इस जज़्बात की मिशाल है
तुम्हें खोने से भी भयंकर
तुम्हें खोने का खयाल है।।
खैरियत ख़फा है अब..........
वाह, मन में धीरे धीरे उतरती पंक्तियाँ..
ReplyDeleteधन्यवाद प्रवीणजी...
Deleteबहुत उम्दा,सुंदर सृजन,,,वाह !!!
ReplyDeleteRECENT POST : अभी भी आशा है,
धन्यवाद धीरेन्द्र जी।
Deleteये ख्याल ही ....बेचैनियों का गुलदस्ता बनाते हैं ...:-))
ReplyDeleteशुभकामनायें!
सही कहा अशोकजी..
Deleteधन्यवाद आपका।।
वाह... उम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया आपका...
Deleteबेचैन करता खोने का ख्याल गूंथ कर भाव सरिता बन गया है...!
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
जी धन्यवाद अनुपमाजी।
Deleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया आपका..
Deleteउम्दा, बेहतरीन अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत-बहुत शुक्रिया आपका
Deleteजीवन की अनकही मनोदशा को व्यक्त करती
ReplyDeleteबहुत सुंदर अनुभूति
बधाई
आग्रह है मेरे ब्लॉग में भी सम्मलित हों
केक्ट्स में तभी तो खिलेंगे--------
जी जरूर आता हूँ आपके ब्ल़ॉग पर..
Deleteबहुत-बहुत शुक्रिया आपका..
बेहतरीन ख्यालों का कुछ बैचेनियों का गुलदस्ता सजने लगा है अब ...
ReplyDeleteसब आप लोगों के स्नेह का प्रतिफल है नासवाजी...
Delete