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Saturday, July 13, 2013

मुझे नफरत है...

वे
हर रात
फड़फड़ाते हैं मेरी
दिल की दीवारों पर
चमगादड़ बनकर,
और
उस फड़फड़ाहट के शोर में
नहीं सो पाता मैं,
अपने सपनों के चलते
मुझे नफरत है अपने सपनों से.....
कहीं कुछ पाने के
बहुत दूर जाने के
इस दुनिया पे छाने के
सपने ही हैं,
जो जगाये रखते हैं मुझे
बस, इसलिये ही
मुझे नफरत है अपने सपनों से....
इन सपनों में समाई
आस की ज्वाला,
जलाती है मुझे
हर पल-हर छिन
एक प्यास
जो बुझती न कभी,
बस बड़ती जाती
हर पल-हर दिन
और फिर...
इन सपनों की आस में,
न मिटने वाली प्यास में,
गुजर जाती है
मेरी एक और रात
यूँ ही
बिना सोयो-करवट बदलते...
मुझे नफरत है अपने सपनों से...

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