हाँ देखा है
उन शराफत के ठेकेदारों को
जो देते हैं नसीहतें
हत्या
लूट
बलात्कार और
ऐसे ही कुछ दूसरे अपराधों पर
बड़ी बेबाकी से....
और देखे जाते हैं
पैरवी करते इनके विरुद्ध
तमाम अदालतों, दफ़्तरों और
सरकारी आयोगों में जाकर...
जहाँ हर घड़ी बड़ी ख़ामोशी से होते हैं
जज़्बातों के क़त्ल,
मज़हब-बिरादरी और रुतबे की
कुछ बेबुनियाद सी दीवारें खड़ी कर..
और लूटा जाता है रिश्तों की इज़्जत को
ऐसी ही कुछ रस्मों-रिवाज़ के नाम पे
और हाँ,
अपने दोहरे अलामत के ज़रिये
बड़े ही संजीदा हो करते हैं
शराफ़त को ही खुले बाज़ार नंगा...
फिर भी इनकी कांख से
बहती है बरहमिश
शाइस्तगी की गंगा...
उन शराफत के ठेकेदारों को
जो देते हैं नसीहतें
हत्या
लूट
बलात्कार और
ऐसे ही कुछ दूसरे अपराधों पर
बड़ी बेबाकी से....
और देखे जाते हैं
पैरवी करते इनके विरुद्ध
तमाम अदालतों, दफ़्तरों और
सरकारी आयोगों में जाकर...
पर मेरे सवाल हैं इन्हीं
सफेदपोशों से,
जिनकी
बाहर से चमचमाती
बासलीका मिनारों के अंदर ही होते है
सबसे ज्यादा गुनाह
जहाँ हर घड़ी बड़ी ख़ामोशी से होते हैं
जज़्बातों के क़त्ल,
मज़हब-बिरादरी और रुतबे की
कुछ बेबुनियाद सी दीवारें खड़ी कर..
और लूटा जाता है रिश्तों की इज़्जत को
ऐसी ही कुछ रस्मों-रिवाज़ के नाम पे
और हाँ,
अपने दोहरे अलामत के ज़रिये
बड़े ही संजीदा हो करते हैं
शराफ़त को ही खुले बाज़ार नंगा...
फिर भी इनकी कांख से
बहती है बरहमिश
शाइस्तगी की गंगा...
अफसोस!
ऐसे तमाम अपराधों के खिलाफ़
न कोई वकालत है
और
न कोई अदालत
क्युंकि
इस जहाँ में
ऐसा कोई बाशिंदा ही
नज़र नहीं आता
जो हत्यारा न हो
और जिसने न किया हो
किसी न किसी तरह
अपने या किसी गैर के
जज़्बातों का क़त्ल....
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर .......
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ReplyDeleteबहुत सुंदर उम्दा प्रस्तुति ...!
RECENT POST आम बस तुम आम हो
संवेदनशील भाव...... आज के परिवेश का सच यही है
ReplyDeleteअपने आस पास बहुत कुछ देखते हुए भी बहुत कुछ अनदेखा कर लिया जाता है
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रेरक रचना
The reality of life!!
ReplyDeleteइस दोहरापन के पीछे भी कितना दोहरापन छिपा होता है..
ReplyDeleteRespected Shri Ankurjee,
ReplyDeleteI am not a language expert but a technical person. I can understand the narration only and may not understand the central metaphor. If I find your poems so interesting, how interesting these are for the language experts,
I beg your excuse for commenting in english.
खूबसूरत शब्द संयोजन....!!!
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