इक टीस तो है तेरे गुज़र जाने की, पर एक खामोश खुशी भी है
उस तालीम के लिए जो तूने मुझे कई मर्तबा ग़मज़दा कर दी है
और यकीन मान वही तालीम तुझे ज़िंदा रखेगी..
सुन ऐ 2013!!! कैलेण्डर बदल जाएगा..
पर रुह के किसी कोने में स्मृतियों के जरिये
चस्पा रहेगा तू, दीवार पे ठुकी किसी कील की तरह।।।
बहुत सुन्दर .......नव वर्ष मंगलमय हो
ReplyDeleteशुक्रिया आपका भी नववर्ष की बधाई।।।
Deleteबहुत उम्दा. अतीत से मिली तालीम वर्तमान के लिए रास्ता दिखाती है. शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteधन्यवाद शबनम जी।।।
Deleteutam
ReplyDeleteशुक्रिया आदित्य जी...
Deleteआपको भी हार्दिक शुभकामनाएं।।।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका..साथ ही शुभकामनाएं भी।।।
ReplyDeleteDeri Se hi Sahi ....नव वर्ष मंगलमय हो...Ankur ji
ReplyDeleteआपको भी संजय जी...
Deleteपुरानी ही सही पर अच्छे शब्दों से सजी एक पोस्ट।
ReplyDelete