बंद करो अब ये
फ़िक्र करना
अपनापन दिखाना
और
मोहब्बत जताना
इस मोहब्बत से ज्यादा
खुशी देती है अब
तुम्हारी बेरुख़ी...
क्यूंकि मैं
इस फ़िक्र, अपनेपन
और मोहब्बत
असली चेहरे को,
झूठा है ये बिल्कुल
आकाश में खिले
फूलों की तरह,
बस इसलिये
अब बंद करो
मुझे बहलाने की सारी
चेष्टायें अपनी
इन मिथ्या चेष्टाओं
से ज्यादा
खुशी देती है मुझे
तुम्हारी बेरुखी...
तुम्हारे,
मेरी मायुसियां
और सच कहूँ तो
तुम्हारे इन मौजूदा झूठे
लफ्ज़ों से ज्यादा
दुख देती हैं
तुम्हारी वो हरकतें
और दोहरा चरित्र
जो उन अतीत में की हुई
बातों को भी झूठा करार देता है
जिन्हें सच मान
मैं,
तुम्हारी इबादत किया करता था
खैर,
तुम क्या जानों
सच्ची इबादत, आस्था
और मोहब्बत
कितना रोती है
ठगाये जाने पर।।।
ठगे जाने पर विश्वास की जडें हिल जातीं हैं...
ReplyDeleteऔर इससे दुखद कुछ भी नहीं!
सही कहा अनुपमा जी और शुक्रिया आपकी इस अहम् प्रतिक्रिया के लिये।।।
Deleteखैर,
ReplyDeleteतुम क्या जानों
सच्ची इबादत, आस्था
और मोहब्बत
कितना रोती है
ठगाये जाने पर।।।
ख़ूबसूरत प्रस्तुति सुंदर रचना...!
Recent post -: सूनापन कितना खलता है.
शुक्रिया आपका।।।
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteआभार आपका।।।
Deleteसच कहा है ... सच्ची मुहब्बत को ठगा जाये तो टूट जाता है दिल ... कच्चे धागे कभी जुड़ते नहीं ...
ReplyDeleteदिगम्बर जी धन्यवाद प्रतिक्रिया के लिये..कच्चे धागे तो शायद जुड़ भी जाये पर ठगाये जाने पे रिश्तों का जुड़ पाना बहुत मुश्किल है।।।
Deleteबहुत बढ़िया और भावपूर्ण...आप मेरी ओर से को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है
जी धन्यवाद आपको भी शुभकामनायें।।।
Deleteमोहब्बत
ReplyDeleteकितना रोती है
ठगाये जाने पर।।।
........सच कहा है
शुक्रिया संजयजी...
Deleteअंकुर यूं ही लिखते रहो ........बहुत खूब
ReplyDeleteजी ज़रूर..शुक्रिया आपका।।।
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