Saturday, May 23, 2020

ख़बर के शूरवीर...

कोरोना संकट के इस दौर में मीडियाकर्मियों द्वारा भी जिस तत्परता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है वह सराहनीय है अफसोस इन कोरोना योद्धाओं को उतनी तवज्जो नहीं मिल रही जिसके ये हकदार है... पिछले दिनों एक चैनल के कई मीडियाकर्मी अपने इन्हीं दायित्वों को निभाते हुए संक्रमण से ग्रस्त हो गए। अपने उन तमाम मीडिया कर्मियों और खासतौर पे अपने चैनल दूरदर्शन को लक्ष्य में रखके ये कविता इस काल मे लिखी है जो इन सभी योद्धाओं को मेरी आदरांजलि की तरह है। कविता में इनबेर्टेड कॉमा में जिन नामों को कविता के भाव के साथ पिरोया गया है वह सभी मेरे साथ काम करने वाले सहकर्मी हैं, किंतु कविता का अर्थ समग्र रूप से सभी मीडियाकर्मियों की निष्ठा को नमन करते हुए समेटने की कोशिश की है। पेश है ये लघु रचना-

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संकट छाया इस वसुधा पर,
जग का हो चला जो जीर्ण चीर।
तब साहस कर अविचल बढ़ते,
हैं हम वो 'खबर' के शूरवीर।।

बाख़बर करें हम जनता को,
जागरूक कर मेटें सबका डर।
मुश्किल पल में भी संग चलें,
हम पहुंचे हर इक गांव शहर।।
हैं लक्ष्य रखें 'अर्जुन'-सा हम,
'सहर्ष' बढ़े पथ पर प्रवीर।
जग के जंगम में संगम ले,
हैं हम वो ख़बर के शूरवीर।।1।।

हम प्रकाश किरण है 'दीपक' की,
'आदित्य' उल्लसित दिग्-दिगन्त।
तम की कारा हरने को हम,
हैं सूर्य-कान्ति सम नित उदन्त।।
'पूजा' है कर्म हमारा ये,
संकट में भी हम रखें धीर।
साहस कर नित अविचल बढ़ते,
हैं हम वो ख़बर के शूरवीर।।2।।

इन पंक नुमा हालातों में,
'पंकज' से खिलने को आतुर।
'सत्येन्द्र' मयी होकर निर्भय,
'प्रबुद्ध' है अब हर ताल और सुर।।
उम्मीदों के 'आकाश' से हम,
आशा का बनकर बरसें नीर।
साहस कर नित अविचल बढ़ते
हैं हम वो ख़बर के शूरवीर।।3।।

हो साहस तो देते हैं साथ,
खुद ब्रह्मा-"महेश' व 'श्रीकांत'।
नारद की भक्ति सा अमूल्य,
हम काम करें होकर प्रशांत।।
'इसराइल' की है इबादत ये,
हैं 'सचिन' सरीखे हम गंभीर।
साहस कर नित अविचल बढ़ते,
हैं हम वो ख़बर के शूरवीर।।4।।

कोरोना को ललकार यही,
हम डटकर इससे निपटेंगे।
इस अवनि पर 'अजीत' बन फिर,
'अंकुर' निजरस पा फूटेंगे।।
जाँ भी होगी जहाँ भी होगा,
विश्वास की इस दृढ़ है प्राचीर।।
साहस करके अविचल बढ़ते,
हैं हम वो खबर के शूरवीर।।
हैं हम 'डीडी' के शूरवीर।।पूर्ण।।

-  © *अंकुर जैन*

4 comments:

  1. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (25 मई 2020) को 'पेड़ों पर पकती हैं बेल' (चर्चा अंक 3712) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    *****
    रवीन्द्र सिंह यादव

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  2. सुन्दर अभव्यक्ति अंकुर जी कोरोनवीरो को नमन

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  3. बहुत ही सुंदर नवगीत रचा है आपने आदरणीय कोरोनाकाल पर.
    सादर

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