तुमने देखा ही होगा
अचानक
चौंधिया जाती है जिससे निगाहें अक्सर
और युं ही
महसूस भी किया होगा
निस्तब्ध दुपहरी में
यकायक गर्म लपटों का चलना
कमबख़्त बिखेर देती है हमें..
और हाँ,
शांत पड़े समंदर में
सहसा उठी लहरों को भी
देखा ही होगा न
जो तीर पे खड़े इंसा को
चौंका देती है बिना इत्तला किये ही..
ये सब नज़ारे तो बस एक नज़ीर हैं
अपने रुहानी हालातों
को बयां करने के लिये
जो हालत तेरी यादों की
जुंबिशों की वजह से हुई है
अक्सर मेरे रूह के आसमान
पर कौंधती है तेरी यादों की बिजली
अक्सर चलती है उन अहसासों की लपटें
जो जज़्बात मिले थे मुझे
तेर संग बिताये लम्हों से
और ऐसे ही उठती है
कुछ खयाली लहरें
मेरे दिल के समंदर में...
और यकीन मान
हर बार संभलने के बावजूद
मैं फिर बिखर जाता हूँ...
तुझे भुलाकर एकदम,
मैं बढ़ चुका हूँ आगे
और कर लिया है खुदको
मशरूफ इतना
कि अब रात-दिन का
हर एक पल बस मेरे
अपने लिये ही फना है
और न रह गई है फुरसत
मुझे
अब किसी बेबुनियाद
जज़्बात को लेकर
पर फिर भी सुन ऐ सितमगर!
तेरी याद,
वो ख़याल
और वो अधूरे जज़्बात
अब भी
मुझे बिखेरने में
कोई कसर नहीं छोड़ते...
और
इस मशरूफियत के बावजूद
तेरे हिस्से का वक्त
अब भी
खाली गुज़रता है...
बहुत बढ़िया !
ReplyDeleteशुक्रिया....
DeleteSIR I REALLLY LIKED YOUR POEM :) SUM REALLY GOOD LINES GO TOUCHED
ReplyDeleteThanx Asif...
Deleteबहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteआभार राकेशजी....
Deleteबहुत ख़ूबसूरत अहसास...
ReplyDeleteधन्यवाद कैलाशजी...
Deleteतेरे हिस्से का वक़्त अब भी खाली गुजारता हूँ ...
ReplyDeleteकितन एहसास सिमिट आते होंगे उस पल में उस वक़्त में ... घर एहसास लिए ...
हाँ सिमटते तो वाकई कई अहसास हैं पर वो सिमटे अहसास ही बड़े मुश्किल होते हैं :) शुक्रिया प्रतिक्रिया हेतु नासवाजी।।।
Deletekhuda kasam.....khudkushi haraaam na hota to is kavita pe jaaan waaar deta miyan...................nehayat hi umda......bechainiya or badh gaeeee padh ker.....!!
ReplyDeleteअमां ताबिश मियाँ..ये तो आप जैसे जानशीं दोस्तों का कमाल है जो हुनर के कुछ छीटें आप सबकी दुआओं की बदौलत खुदा ने हम पर भी बिखेर दिये हैं...इस दिल से निकली प्रतिक्रिया के लिये शुक्रिया आपका।।।
Deleteदिल के जज्बातों को खूबसूरती से शब्दों में बाँधा है ..बहुत खूब ...
ReplyDeleteधन्यवाद राजेश कुमारी जी...
Deleteइस मशरूफियत के बावजूद
ReplyDeleteतेरे हिस्से का वक्त
अब भी
खाली गुज़रता है......बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
आभार आपका...
DeleteWell the modern era needs some poems like this , I mean we have to bring an EVOLUTION in the old hindi literature otherwise Eng literature"ll really dominate our country :(
ReplyDeletePlease have a look on this sir (my first hindi poem on the blog)
MANJIL KI TALAASH MEIN
अहसास को स्पर्श करती कविता..
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