आँसू
हैं तो महज पानी
जो दिल की आग से
बाहर आते हैं
और
बाहर आके दूसरों के
दिलों को जला जाते हैं।
आँसू
है तो खामोश पानी
लेकिन ये भी कमबख्त
चीखते हैं
चिल्लाते हैं।
लेकिन ज़िंदगी में
न सब समझ सकें
इन आँसूओं की
भाषा
जो होते हैं दिल के पास
बस, वही जाने
असली परिभाषा..
संग अपने बहा ले जाते हैं ये
कभी उस दर्द को
और गहरा बना जाते हैं ये...
इन आँसुओं में
भावनाओं का सैलाब है
इन आँसुओं में छुपे
कई हसरतों के ख्वाब है
इन आँसुओं में हैं सवाल
और इन्हीं में सारे जवाब हैं
लेकिन जिंदगी में है कौन वो
जो समझे इन आँसुओं की भाषा
है कौन दिल के पास
जो जाने इनमें छुपी परिभाषा...
तब आँसू ही बयाँ करते हैं
दिल की हरकतों को
आँसू ही हैं जो जोड़ें
टूटे हुए सिलसिलों को..
तड़पता हुआ दिल
सिसकती हुई आँखों से
बयाँ करता है अपनी
बेचैनियाँ,
और उस सिसकन से
भीग जाते हैं
तकिये रातों में...
ग़नीमत है ये आँसू
बेरंग होते हैं,
नहीं तो सनम!
ये तकिये दिल की
सारी दास्तान
चुगल देते जमाने से.......
बहुत खूब ... यकीनन आंसूओं को बेरंग ही होना चाहिए था ... नहीं तो कह देते पता नहीं क्या किस रंग में ... आंसुओं की दास्तां लिख दी ...
ReplyDeleteशुक्रिया आपका...
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteआंखों को पढने का सलीका चाहिए ताबिश
ReplyDeleteइससे गिरे आंसू भी संवाद करते हैं।।
खूबसूरत पंक्तियाँ ताबिश भाई...
Deleteएक बूंद आंसू के कितने रूप ..... प्यार मुहब्बत दर्द एहसास ख़ुशी और भी रूप बन झलक पड़ते हैं ...
ReplyDeleteसही कहा रंजना जी..साथ ही शुक्रिया आपका।।
Deletekitne tarah ke aansu..jitne tarah ki bhavnayen...or kitne rup aapne bataya....wah bahut khoob....
ReplyDeletethanks alott aparna ji...
Deleteग़नीमत है ये आँसू
ReplyDeleteबेरंग होते हैं,
नहीं तो सनम!
ये तकिये दिल की
सारी दास्तान
चुगल देते जमाने से.......बहुत खूब......
कौशलजी धन्यवाद...
Deleteयादों के दिए ...आंसुओ से जलाये जाते है !
ReplyDeleteशुभकामनायें!
bahut sundar rachna
ReplyDeletethank you so much :)
Deleteहर आंसू कुछ कहता है। भावपूर्ण कविता।
ReplyDeleteशुक्रिया आपका संतोष जी...
Deleteआँसू की कहानी .... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद संगीता जी..
Deleteबहुत उम्दा भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
ये तकिये दिल की
ReplyDeleteसारी दास्तान
चुगल देते जमाने से.......बहुत खूब...
काश इन आंसुओं का भी कोई रंग होता ....तो तकिया कभी खुशी के नीले आँसू से तो गम के काले रंग से भीगा हुआ मिलता
ReplyDelete