हालात के थपेड़े
जब इस दिल को घेरे
हो हर तरफ जब छाईं
रुसवाईयां
तन्हाईयाँ
दिल में बढ़ रही हो
दर्द की गहराईयाँ...
जब रिश्ते हो टूटे
अपने हो छूटे
चैन कोई लूटे
और बढ़ रही हों पल-पल
लाचारियाँ
बेचारियां
दस्तक दे रही जब
दर पे बेताबियाँ...
आँसू नहीं बहाता
टीस न जताता
दर्द न बताता
जीता ही जाता
बस मुस्कुराता
जाने क्यूँ ये बात
लफ्ज़ पे न लाता...
है टूटा हुआ दिल
छूटा है साहिल
पर बेशर्म जुवाँ ये
कैसे कह लेती
कि मुझे कुछ-
'फर्क नहीं पड़ता'
बहुत उम्दा नज़्म है है सर
ReplyDeleteअलतमश
शुक्रिया अल्तमश।।।
Deleteबहुत उम्दा लेख आभार
ReplyDeleteधन्यवाद...
Deleteसुन्दर रचना.
ReplyDeleteलाचारियाँ
ReplyDeleteबेचारियां
दस्तक दे रही जब
दर पे बेताबियाँ...
.......बहुत ही बेहतरीन रचना
प्रभावी प्रस्तुति...
धन्यवाद संजयजी...
Deleteउम्दा-प्रभावी प्रस्तुति...
ReplyDeleteधन्यवाद कौशलजी...
Deleteबहुत खूब,सुंदर प्रभावी रचना !
ReplyDeleteRECENT POST : हल निकलेगा
धन्यवाद धीरेंद्रजी..
Deleteकहते हैं, Tears are safety valves of the heart, इसलिए कभी कभार बह जाएँ आंसू तो उन्हें बहने भी देना चाहिए...!
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
शुभकामनाएं!
सही कहा अनुपमाजी..शुक्रिया आपके उत्साहवर्धन हेतु।।।
Deleteबहुत उम्दा
ReplyDeleteआभार आपका..
Deleteसुन्दर रचना!
ReplyDeleteशुभकामनाएं!
शुक्रिया मलिक साहब।।।
Deleteधन्यवाद..आता हूँ आपकी चौखट पे...
ReplyDeleteआप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल {बृहस्पतिवार} 26/09/2013 को "हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल {चर्चामंच}" पर.
ReplyDeleteआप भी पधारें, सादर ....राजीव कुमार झा
शुक्रिया आपका....
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