Saturday, July 13, 2013

मैं कोई कवि नहीं....

कविता करना
कोई मजाक नहीं,
जो हम-से नौसिखिए कर सकें
ये तो एक साधना है,
जो संगिनी है साधकों की
बेचैन हूँ मैं,

पर मैं कोई कवि नहीं।।

जब चरम तन्हाईयों के दौर में
दोस्त हो जाते हैं दूर
तो कागजों से बातें करता हूँ
अल्फाज़ों के जरिये,
पर मैं कोई कवि नहीं।।

जब भर जाता है दिल,
दर्द से लबालब
और छलकने लगता है
रूह के प्यालों से
शराब बनकर,
तो फैल जाता है वो
इन कागज़ों की जमीं पर,
पर मैं कोई कवि नहीं।।




जब अपनों की दग़ा से
प्रियतम की झूठी वफ़ा से
जगता है मन में रोष
तो इन कागज़ों के समंदर में
शब्दों के पत्थर फेंक देता हूँ,
पर मैं कोई कवि नहीं....

25 comments:

  1. बेहतरीन रचना और सुंदर अभिव्यक्ति .......!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद रंजनाजी..

      Delete
  2. मन जब भर आता है, छन्द बन कर निकल जाता है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सही कहा प्रवीणजी...

      Delete
  3. बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,शुभकामनाए,,,,

    वर्डवेरीफिकेशन,हटा ले कमेंट्स करने में देरी और परेशानी होती है,इस पर ध्यान देगें,,,,

    RECENT POST : अपनी पहचान

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी धीरेन्द्रजी...धन्यवाद मुझे इसकी जानकारी देने के लिये...

      Delete
  4. इन बैचेनोयों को निकालने का सही जरिया ढूँढा है आपने ...
    लाजवाब कविता है ... शुभकामनाएं ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद नासवाजी..

      Delete
  5. बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  6. धन्यवाद सुज्ञजी

    ReplyDelete
  7. Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...

      Delete
  8. मैं तो कद्रदान हूँ इन बेचैनियों का ,,इनमें मेरी सुनेहरी यादों का डेरा है ...
    खुश रहें !

    ReplyDelete
    Replies
    1. हर किसी का डेरा है इन बेचैनियों में...बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...

      Delete
  9. भाव अभिव्यक्ति सुंदर है ..
    शुभकामनायें !

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...सतीशजी।।।

      Delete
  10. भाव ही कविता है और हर इंसान जो रो सकता है... घटित हो सकती है उसके यहाँ कविता...!

    भावाभिव्यक्ति निरंतर चलती रहे!

    ReplyDelete
    Replies
    1. शुक्रिया अनुपमाजी...अभिव्यक्ति जारी रहेगी।।।

      Delete
  11. बेहतरीन रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...

      Delete
  12. बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...

      Delete
  13. बहुत-बहुत शुक्रिया आपका...

    ReplyDelete
  14. गुलदस्ते में फूल अच्छे है ...

    ReplyDelete
  15. बेहतरीन भावना अभिव्यक्ति है फिर छंद क्यों नहीं लिखते ? लोग गुनगुनायेंगे अंकुर , योग्यता को क्या झिझक ?
    मंगलकामनाएं !

    ReplyDelete

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

Post Comment