Saturday, December 14, 2013

सूरत और सीरत

क्यूं मसले जाते हैं
कोमल फूल
क्यूं चढ़ती है
सुनहरी परतों पे धूल
तितलियों को
कहो आखिर
खूबसूरती का
क्या सिला मिला है
वासना का हर तरफ
जब बढ़ रहा यूं
सिलसिला है...
सच,
अच्छी सूरत भी क्या
बुरी चीज़ है..जानम!
जिसने भी देखा
बुरी नज़र से देखा।।

क्यूं माफी को कमजोरी 
समझे ये दुनिया

क्यूं झुकने को बेवशी
माने ये दुनिया
वृक्ष चंदन के ही आखिर
कटते हैं क्यूं इस जहाँ में
नेक फितरत का न जाने
मोल आखिर क्यूं जहाँ ये...
सच,
अच्छी सीरत भी क्या
 बुरी चीज़ है..जानम!
जिसने भी पायी
ठोकर ही खायी।।

22 comments:

  1. शानदार अच्छी सूरत भी क्या बुरी चीज़ है जनम...अद्भुत पंक्तियाँ...

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  2. अच्छी सूरत भी क्या बुरी चीज़ है जनम.........क्या बात है ......

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  3. क्युं चढ़ती है
    सुनहरी परतों पे धूल
    .................
    bahut sundar likha hai aapne...

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    1. जी धन्यवाद राहुल जी...

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  4. सुंदर रचना !
    (क्युँ को क्यूँ कर लें )

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    1. जी अवश्य...धन्यवाद आपका

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    1. आभार आपका मोनिका जी...

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  6. सूरत और सीरत ... दोनों ही गुनाह बन जाते हैं ... क्या समय है ...

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    1. जी सत्यवचन...आभार प्रतिक्रिया हेतु।।।

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  7. sarthakata ko samete huye behatareen rachana

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  8. शानदार ...अद्भुत पंक्तियाँ...

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