Thursday, October 27, 2022
ज़िंदा स्वप्न !!!
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बिछोह से उत्पन्न कोई अतृप्त लिप्सा जो बनकर टीस रह रही है ज़ेहन के किसी कोने में रह-रहकर उठती है वो अब कोई ज़िंदा स्वप्न बनकर। एकदम प्रत्यक्ष...
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Monday, October 4, 2021
प्रेम के पलायन की यात्रा
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अहसासात का इक दिया जगमगाया था जो बुझ गया है वो। अनायास ही नहीं, बड़े ही सिलसलेवार ढंग से... बनकर पहले कशिश, फिर तड़प, फिर मोहब्बत आदत.. ...
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Saturday, May 23, 2020
ख़बर के शूरवीर...
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कोरोना संकट के इस दौर में मीडियाकर्मियों द्वारा भी जिस तत्परता से अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है वह सराहनीय है अफसोस इन कोरोना यो...
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Saturday, January 5, 2019
बगल वाली सीट
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क्लासरूम में अर्थशास्त्र की शायद उस कक्षा के बीच खाली पड़ी अपनी बैंच के बगल में यकायक आ बैठा था कोई और फिर मुश्किल था समझना जीडीपी ...
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Sunday, November 5, 2017
विरामचिन्ह !!!
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ठहराव है वहीं हो रहा जहाँ कहीं भी प्रवाह है। सापेक्षता का सिद्धांत बताता है हमें गति और स्थिति का यही विरोधाभास।। और इस पर...
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