Monday, October 4, 2021

प्रेम के पलायन की यात्रा


अहसासात का इक दिया 
जगमगाया था जो
बुझ गया है वो।
अनायास ही नहीं,
बड़े ही सिलसलेवार ढंग से...

बनकर पहले कशिश, 
फिर तड़प, 
फिर मोहब्बत
आदत.. 
फिर जरुरत; और
हुये फिर फ़िराक़ जो तुमसे
तो बन बैठा वही अहसास
तैश, झल्लाहट, घुटन, 
फिर नाराज़ी
और उपेक्षा में बदलकर...

अब नहीं रह गया है कुछ भी
कुच्छ भी...
जिसका ग़िला हो, नाखुशी या
शिकायत ही कोई।


ज़िंदगी से
प्रेम का पलायन
यूं ही 
नहीं होता...
टूटता है रफ़्ता-रफ़्ता
हममें बहुत कुछ
और बदलता है
कलेवर हर इक जज़्बात का।

अहसास ए इश्क़
जितना आसमानी ऊंचाई
इख़्तियार करेगा....
कमबख़्त,
गिरने पर वहाँ से
दे जायेगा ज़ख़्म
गहरा उतना ही।

खुद को मिले दर्द
का गुनहगार तलाशेंगे
हम जहाँ-तहाँ,
पर, 
इश्क के इस क़त्ल में
नहीं है 'क़ुसुरवार' 
हमारे अलावा कोई और।



कशिश हमारी, मोहब्बत हमारी
तड़प हमारी, 
आदत और जरुरत भी हमारी
तो बिछोह से पैदा दर्द का
दोषी कोई और कैसें?
खैर,
फ़ना
हुए इश्क़ का
अब दर्द भी फ़ना हो गया है।

मिट गया है
सब....सब...
हाँ...सब..
शायद....सब।
फिर,
फिर क्या है?
जो कौंध उठता है
दिल के फ़लक पर
शब ए तन्हाई में याद बनकर।


क्या? वाकई...
होता भी है, 
जीवन से कभी
"प्रेम का पलायन"

13 comments:

  1. प्रेमभरे भावों की अविरल अभिव्यक्ति ।मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है ।

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  2. मर्मस्पर्शी सृजन।

    ज़िंदगी से
    प्रेम का पलायन
    यूं ही
    नहीं होता...
    टूटता है रफ़्ता-रफ़्ता
    हममें बहुत कुछ... सराहनीय।
    सादर

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  3. मिट गया है
    सब....सब...
    हाँ...सब..
    शायद....सब।
    फिर,
    फिर क्या है?
    जो कौंध उठता है
    दिल के फ़लक पर
    शब ए तन्हाई में याद बनकर।
    बहुत ही मार्मिक वह हृदयस्पर्शी रचना
    मेरे ब्लॉग पर भी आपका हार्दिक स्वागत है🙏

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०७-१०-२०२१) को
    'प्रेम ऐसा ही होता है'(चर्चा अंक-४२१०)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  5. सुंदर , बहुत बधाइयाँ ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ८ अक्टूबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  7. प्रेम का पलायन नहीं होता । बस इंसान प्रेम से पलायन कर जाता है ।
    सुंदर रचना ।

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  8. सुंदर, सार्थक रचना !........
    ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  9. अहसास ए इश्क़
    जितना आसमानी ऊंचाई
    इख़्तियार करेगा....
    कमबख़्त,
    गिरने पर वहाँ से
    दे जायेगा ज़ख़्म
    गहरा उतना ही।
    इश्क की ऊँचाई जितनी दर्द की गहराई!!!
    ये कहसास की बात है....बहुत ही हृदयस्पर्शी लाजवाब सृजन।

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    1. बेहतरीन पंक्तियां सर....

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  10. हृदय स्पर्शी सृजन, गूढ़ एहसासों कर सटीक चित्रण करती सुंदर रचना।

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  11. फिर क्या है?
    जो कौंध उठता है
    दिल के फ़लक पर
    शब ए तन्हाई में याद बनकर।
    बहुत ही मार्मिक हृदयस्पर्शी रचना

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