Wednesday, October 30, 2013

रोशनी की चकाचौंध

क्यूं
अफसोस करें हम
कि कुछ भी न होता 
मन का मेरे
क्युं तन्हा
रहे हम हरदम
कि जीवन को घेरे
घनघोर अंधेरे...


क्युं
अपने नसीब को कोसें
कि जो चाहें
वो मिले न हमको
क्युं नाराज़
खुदा से हों
जब सुकुं मिले
न आवारा दिल को...

यूँ अफसोस जताके
हम,
तौहीन करें
अपने जीवन की
तौहीन करें
अपनी साँसों की,
और
वक्त के मृदु संगम की..

सच तो ये है
सनम! सुनो तुम
मिले वही
जिसके लायक हम
गर हो जाये 
सबकुछ मन का
तो 
बात याद रखना वो पुरानी
जिसे सुनाया करती थी,

अक्सर वो काकी
बड़ी सयानी...
कि 
जिंदगी हमारे धीरज का
इम्तिहान,
युंही बस लेती है
और
ज़रूरत से ज्यादा
रोशनी भी
अंधा बना देती है।

28 comments:

  1. गहन बात कहती हुई सुंदर रचना ...

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    1. शुक्रिया आपका संगीता जी...

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  2. ज़रूरत से ज्यादा
    रोशनी भी
    अंधा बना देती है।
    गहन बात......सुंदर रचना ......

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  3. युंही बस लेती है
    और
    ज़रूरत से ज्यादा
    रोशनी भी
    अंधा बना देती है।
    ....दिल से लिखी गहन बात दिल तक पहुँचती है और बहुत मार्मिक भी होती है...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया संजय जी आपका...

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  4. जिंदगी हमारे धीरज का
    इम्तिहान,
    युंही बस लेती है
    और
    ज़रूरत से ज्यादा
    रोशनी भी
    अंधा बना देती है।

    in panktiyon me hi saar samaya hai..........
    prastuti ka andaaj man ko bhaya hai.......
    suresh rai
    www.mankamirror.blogspot.in

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका...आता हूँ आपकी चौखट पे भी...

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  5. बहुत सारगर्भित प्रस्तुति...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका...आता हूँ आपकी चौखट पे भी...

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  7. Behud sarthak rachna....ati to harkuch ki kharab hi hoti hai....

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  8. Replies
    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका...

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  9. ऊपर वाला सब को उसी की हिसाब अनुसार देता है ...
    हां सच है ज्यादा रोच्नी अंधा बना देती है ... फिर भी रौशनी की प्यास नहीं मिटती ... दीपावली के पावन पर्व की बधाई ओर शुभकामनायें ... ...

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    1. जी सहमत आपकी बात से...आपको भी शुभकामनाएं।।।

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  10. बहुत बहुत शुक्रिया आपका...आता हूँ आपकी चौखट पे भी...

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  11. gehri baat keh di apne....sarthak rachna

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  12. bahut hee gehree aur dil koo choo laene vaali Rachna.
    Bahut khoob.!!!

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  13. गहन बात कहती हुई सुंदर रचना ...

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