Saturday, January 18, 2014

तेरा आधा-अधूरा जाना


आज फिर जब मैंने खंगाली
अपने ख़यालों की अलमारी
तो एक मर्तबा फिर
भरभरा के गिर पड़े
वो आधे-अधूरे जज्बात
मेरे पैंरों तले..
और मुझे फिर
ये अहसास हुआ 
कि मैं दबा हुआ हूँ
तेरे बोझ तले
क्युंकि पड़ा हुआ है
तेरा सामान,
बाकायदा
मेरे रूह की दीवारों में
जड़ी हुई
ख़यालों की अलमारी के अंदर
सुरक्षित।
कसम से
बहुत अखरता है
यूं तेरा आधा-अधूरा जाना


वो संग बिताये लम्हों की लाखों यादें
वो देखे हुए हज़ारों सपने
बड़ी-बड़ी कसमें और सैंकड़ों वादे
जस के तस सुरक्षित है
मेरे पास आज भी...
वो साथ ली हुई
चाय की चुस्कियां
वो आंसू और याद आने पे ली
गई हिचकियां
वो रूठ जाने पे तुझे
मनाने की कोशिशें
वो बचकानी हरकतें
और बेवकूफ ख़्वाहिशें...
उन अहसासों की इबारतों
को भी मिटाना है ख़ासा मुश्किल
जो दिल के पन्नों पे लिख दिये थे
तूने यूं ही घूमते फिरते..

लेकिन
फिर एक दिन
इन तमाम चीज़ों को छोड़कर
तूने कहा मुझे जाना होगा
और तेरे जाने पर भी
न था मुझे कोई ऐतराज़...
किंतु, तूझे जाना था पूरा
न कि आधा-अधूरा
पर अपना सारा सामान
यूं मेरे पास छोड़कर
तेरा चले जाना
कसम से बहुत अखरता है

और अब उस अलमारी में
पड़ा हुआ सामान
हर कभी यूं ही बाहर निकल
अनचाहे ही मेरे सामने आ
 कुरेद देता है
गहरे ज़ख्मों पे पड़ी हुई पपड़ी को
और फिर
चीख उठता हूँ मैं, दर्द के मारे...
पर अफसोस
वो चीख इतनी ख़ामोश होती है
कि मेरे सिवा कोई और
उसे सुनने की ज़हमत नहीं उठाता...
कसम से
बहुत अखरता है
तेरा आधा-अधूरा जाना।।।

29 comments:

  1. कसक टिस सी उठती है ,जब यादो कि पुरवाई चलती है

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    1. शुक्रिया कौशलजी...

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    1. धन्यवाद आपका...आता हूँ आपकी चौखट पे...

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  3. यूं मेरे पास छोड़कर
    तेरा चले जाना
    कसम से बहुत अखरता है

    बेहद खूबसूरत .......भावों को सुंदरता से उकेरा है..

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    1. शुक्रिया भास्कर जी...

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  4. मन की टीस को बाखूबी शब्दों का जामा पहनाया है ... जाता तो हर कोई है और सब कुछ छोड़ के ही जाता है ... पर ऐसे कोई न जाए बिन हिसाब किये ...

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    1. सही कहा नासवाजी...आभार प्रतिक्रिया हेतु।।।

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  5. बढ़िया लिखते हो यार.....तेरा आधा अधूरा जाना....पूरी तरह से कोई जाए ऐसा तो होता भी नहीं है....कितना भी झाड़ पोंछ लो ..कहीं न कहीं कोई न कोई यादों की परत जमी मिल ही जाती है

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    1. आभार आपका इस सुंदर प्रतिक्रिया के लिये

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  6. भावनात्मक प्रस्तुति । मुझे बहुत पसन्द आई ।

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    1. शुक्रिया अनुरागजी...

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  7. यादों का सफर बेहद सुहाना लगा

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  8. आ० भाई बहुत बेहतर , व बेहतरीन प्रस्तुति , धन्यवाद

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    1. धन्यवाद आशीष भाईजी...

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  9. तुझ से भी जालिम तुम्हारी यादें हैं,
    जब देखती है तन्हा सताने चली आती है।।
    अंकुर बाबू, यादें सच में बडी जालिम होती है, न जान से मारती है, न जिंदा छोडती है। शायद! तडपाना, घुट—घुट कर मारना और फिर अपने शिकार के मजे लेना इसकी फितरत है। और जाने वाले हमेशा आध अधूरा ही जाते हैं क्योंकि पूरा जाना उनके खुद के बस में नहीं होता। खैर जो भी हो। दिल में उठे जज्बात को निहायत ही खूबसूरती के साथ लफजो में पीरो कर दिल को झकझोरने का या आपका अंदाज काफी पंसद आया। खुदा कसम मियां, खुदकुशी हराम न होता तो दिल की गहराईयों से निकलने वाले इन मतलों पर जिन्दगी हार देता!!!!! उम्दा तखलीक।।

    और अब उस अलमारी में
    पड़ा हुआ सामान
    हर कभी यूं ही बाहर निकल
    अनचाहे ही मेरे सामने आ
    कुरेद देता है
    गहरे ज़ख्मों पे पड़ी हुई पपड़ी को
    और फिर
    चीख उठता हूँ मैं, दर्द के मारे...
    पर अफसोस
    वो चीख इतनी ख़ामोश होती है
    कि मेरे सिवा कोई और
    उसे सुनने की ज़हमत नहीं उठाता...
    कसम से
    बहुत अखरता है
    तेरा आधा-अधूरा जाना।।।

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    1. ताबिश भाई आप जैसे मित्रों की हौसला अफज़ाई का ही कमाल है कि बेहतर लिखने का साहस और विश्वास आता है...अहसासों की गहराई आप भी बखूब बयां करते हैं आपसे सीखकर हम भी अपने जज़्बातों को लफ़्जों में पिरोने की जुर्रत कर लेते हैं... बहुत आभार आपकी इस दिली प्रतिक्रिया के लिये.....

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  10. ये यादों की जमा पूंजी है ....आखिर तक साथ चलेगी ...जब भी याद आये ....बेहिसाब याद आये |
    शुभकामनायें!

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    1. बहुत खूब कहा अशोक जी..आभार आपका...

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  11. और अब उस अलमारी में
    पड़ा हुआ सामान
    हर कभी यूं ही बाहर निकल
    अनचाहे ही मेरे सामने आ
    कुरेद देता है
    गहरे ज़ख्मों पे पड़ी हुई पपड़ी को
    और फिर
    चीख उठता हूँ मैं, दर्द के मारे...
    पर अफसोस
    वो चीख इतनी ख़ामोश होती है
    कि मेरे सिवा कोई और
    उसे सुनने की ज़हमत नहीं उठाता...
    कसम से
    बहुत अखरता है
    तेरा आधा-अधूरा जाना।।।


    लाजवाब ....!!

    तेरी यादों के के सिवा अब यहाँ रखा क्या है .....!!

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    1. हरकीरतजी धन्यवाद...

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  12. कोई जाए तो पूरा जाए, अपनी हर निशानी ले जाए. यूँ आधा अधूरा जाना एक ऐसी उम्मीद छोड़ कर जाना है, जो कभी पूरी न होगी और पल पल टीस देगी. भावुक रचना, बधाई.

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    1. शुक्रिया जेन्नीजी....

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  13. Tera aadha adhura jaana....
    na jaane kitni almariyon me yun dard chupa hoga...
    bahut sundar likha hai !

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    1. धन्यवाद प्रकाश भाई...

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  14. वो बचकानी हरकतें
    और बेवकूफ ख़्वाहिशें...
    उन अहसासों की इबारतों
    को भी मिटाना है ख़ासा मुश्किल
    जो दिल के पन्नों पे लिख दिये थे
    तूने यूं ही घूमते फिरते..

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  15. बहुत खूब अंकुर जी

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